‘ खुलता-किवाड़ ‘ स्त्री -पुरुष सम्बंध को लेकर समाज में आये बदलाव की कहानी है । शादी नहीं करने का निर्णय लेने वाली लता एक व्यक्ति से प्रेम करने लगती है , तब वह परिवार - समाज, संस्कार को कितना निभा पाती है । वेदना-संवेदना के बीच समाज में आये बदलाव में परम्पराएँ कैसे चूर-चूर हो जाती है , यही सब इस उपन्यास का आधार है ।
परिवार और समाज के ताने -बाने में बँधा भारतीय समाज में अब किस तरह से परिवर्तन हो रहा है । बच्चों की ख़ुशी के लिये क्या तंज सामाजिक ताने-बाने को ढीला किया जा रहा है । खुलता-किवाड़ के माध्यम से बदलती परम्परा को समझने की कोशिश है ।
कौशल तिवारी
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फ़ेसबुक पर कवर पेज के बाद कुछ प्रतिक्रिया भी मिलनी शुरू हुई ...
परिवार और समाज के ताने -बाने में बँधा भारतीय समाज में अब किस तरह से परिवर्तन हो रहा है । बच्चों की ख़ुशी के लिये क्या तंज सामाजिक ताने-बाने को ढीला किया जा रहा है । खुलता-किवाड़ के माध्यम से बदलती परम्परा को समझने की कोशिश है ।
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